

पाले की मार… चौगान में बिछी घास की हरित पट्टी पाले से जलकर हुई सफेद, प्रशासन खामौश
चंबा-शहर का दिल कहे जाने वाले चंबा के ऐतिहासिक चौगान की देखरेख के अभाव में सूरत बिगड़कर रह गई है। पाले की मार से चौगान से हरी दूब का नामोनिशान पूरी तरह मिट गया। चौगान में बिछी घास की हरित पट्टी पाले से जलकर सफेद हो गई है। जिला प्रशासन व नगर परिषद की ओर से चौगान के वजूद को बचाने के लिए फिलहाल को कोई प्रयास होते नहीं दिख रहे हैं। चौगान की हरी घास को बचाने के लिए पानी का छिड़काव करना भी प्रशासन भूल गया है। चौगान की इस तरह अनदेखी को लेकर शहर के विभिन्न सामाजिक संगठनों ने नाराजगी जाहिर की है। चंबा में मौसम के ड्राई स्पैल के बीच चौगान में पानी के छिड़काव की व्यवस्था होने के बावजूद प्रशासन की ओर से हरित पट्टी को बचाने के लिए कोई प्रयास नहीं किए जा रहे हैं।
इसके चलते चौगान के कई हिस्से से घास उखडने से मिटटी निकल आई है। जरा सी हवा चलने पर यह मिट्टी चौगान में दो पल सुकनू के बिताने के लिए बैठने वालों के लिए आफत बनकर रह गई है। शहर के सामाजिक संगठनों की मानें तो चौगान अब प्रशासन व नगर परिषद के लिए महज कमाई का एक जरिया बनकर रह गया है। मेलों व राजनीतिक कार्यक्रमों के आयोजन के दौरान चौगान को होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए लाखों रुपए खर्च किए जाने की बात कही जाती है, लेकिन धरातल पर ऐसा कुछ नहीं होता दिख रहा है। उन्होंने बताया कि शहर का दिल प्रशासनिक अनदेखी के चलते लावारिस होकर रह गया है। उन्होंने बताया कि प्रशासन को चौगान की हरी दूब को बचाने के लिए सूखे मौसम में पानी का छिड़काव करना चाहिए था, जिससे इसकी हरित पट्टी बची रहती। उन्होंने प्रशासन व नगर परिषद चंबा से ऐतिहासिक चौगान के वजूद को बचाने के लिए जल्द प्रभावी कदम उठाने का आग्रह किया है।
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