

प्रदर्शनकारी किसानों ने बुधवार को कहा कि नए कृषि कानूनों को निरस्त करने के लिए केंद्र सरकार को संसद का विशेष सत्र आहूत करना चाहिए और अगर मांगें नहीं मानी गईं तो राष्ट्रीय राजधानी की और सड़कों को अवरुद्ध किया जाएगा। संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए किसान नेता दर्शन पाल ने आरोप लगाया कि केंद्र किसान संगठनों में फूट डालने का काम कर रहा है, लेकिन ऐसा नहीं हो पाएगा।
उन्होंने कहा कि प्रदर्शनकारी किसान तीनों कृषि कानूनों को वापस लिए जाने तक अपना आंदोलन जारी रखेंगे। उन्होंने कहा कि तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करने के लिए केंद्र को संसद का विशेष सत्र आहूत करना चाहिए। किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी ने कहा कि अगर केंद्र तीनों नए कानूनों को वापस नहीं लेगा, तो किसान अपनी मांगों को लेकर आगामी दिनों में और कदम उठाएंगे। संवाददाता सम्मेलन के पहले करीब 32 किसान संगठनों के नेताओं ने सिंघू बार्डर पर बैठक की, जिसमें भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत भी शामिल हुए।
बार काउंसिल भी किसानों के साथ
बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने कृषि कानूनों की निंदा की है। वरिष्ठ वकील एचएस फूल्का ने कहा कि पीएम मोदी को हम इन्हें वापस लेने के लिए पत्र लिखेंगे। ये कानून वकीलों के खिलाफ भी हैं, क्योंकि इसमें सिविल कोर्ट के न्याय क्षेत्र में ऐसे मामले नहीं आएंगे, जिससे किसानों को न्याय नहीं मिलेगा।
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